गणेशजी क्यों हैं बच्चों के दोस्त
हिन्दू परिवारों में बच्चों को उनके बचपन से ही भगवान के पूजन और उनके रूप का ज्ञान दिया जाने लगता है। घर में दादी-नानी की कहानियां और धार्मिक कर्मकांडों की बच्चों के मानसिक विकास में अहम भूमिका है। बदलते समय के साथ यह परंपरा भी बदली है। कहानियां वही हैं, सीख वही है लेकिन उसके अंदाज में बदलाव आया है।
सूचना के युग में अब बच्चों को भगवान के महत्व को समझाना और अधिक रचनात्मक और रुचिकर हो गया है। बच्चों को सबसे ज्यादा देवताओं की बाल लीलाएं लुभाती हैं जिनसे वो अपने आपको भी उनके जैसा बनाने की कोशिश करते हैं। कृष्णा, भीम और रामा के अलावा जो बाल रूप बच्चों में सबसे अधिक प्रिय है, वह है गणेशा।
भगवान गणेश को सबसे पहले पूजा जाता है। गणेशजी का बाल जीवन भी कई रोचक कहानियों से भरपूर है जिसके चलते बच्चे गणेश को बेहद पसंद करते हैं।
सभी अद्भुत हिन्दू देवताओं के अलावा भगवान गणेश सभी के करीब हैं और उनकी उपासना हमारे दैनिक जीवन और विचारों में मदद करने के लिए सबसे सक्षम मानी गई है। सभी हिन्दुओं के पहले ईष्ट देवता चुने हुए भगवान गणेश की पूजा अपने आप ही स्वाभाविक रूप से भक्त को अन्य देवताओं की ओर ले जाती है।
बाल गणेश के जीवन को चरितार्थ कई माध्यमों से किया जाता रहा है। आधुनिकता के दौर में शुरुआत गणेशजी के कॉमिक बुक्स और स्टोरी बुक्स से हुई है। बच्चों को लुभाने वाली रंग-बिरंगे चित्रों से सजी ये किताबें बच्चों को गणेशजी के और करीब ले जाती हैं।
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