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जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी एक बार फिर विवादों में

जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी एक बार फिर विवादों में है और इस  विवाद ही नहीं अमेरिका के कोर्ट ने इस पर साढ़े पांच करोड़ का जुरमाना भी लगा दिया है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि एक महिला ने  जॉनसन एंड जॉनसन एंड जॉनसन पाउडर के इस्तेमाल से हुए कैंसर को लेकर कंपनी पर केस कर दिया दिया था और इसी केस में कोर्ट ने कंपनी को  ये आदेश दिया की वह महिला को जुर्माने के पैसे दे।

इस महिला को ओवरियन कैंसर हो गया था पर कुछ वैज्ञानिकों के बीच ये मतभेद अभी भी है की कैंसर और टॉक पाउडर के बीच सीधा कोई सम्बन्ध नहीं है।

यह कोई पहला केस नहीं है की किसी की मौत पाउडर के इस्तेमाल और कैंसर से हुई हो क्योंकि फरवरी में भी एक महिला की मौत और उसके रिश्तेदारों ने कोर्ट में सवा सात करोड़ डॉलर का हर्ज़ाना माँगा है।

इससे पहले 1982 में भी जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी पर केस हुआ था क्योंकि इसकी एक दवाई टायलीनॉल है उससे सात लोगो की मौत हो गयी थी और उस समय कंपनी ने करीब तीन करोड़ दवाई की बोतलों को वापस माँगा लिया था।

ये सिलसिला यहीं नहीं रुक बल्कि 2008 में भी काफी लोगो ने ये आरोप लगाए की इस कंपनी के कई प्रोडक्ट्स में से बदबू आ रही है और और उनमे मिलावट भी है और इसके बाद जॉनसन एंड जॉनसन ने करीब दो साल तीन करोड़ प्रोडक्ट यूनिट मार्किट से वापस माँगा लिए।

अब तो ऐसा लगता है की जैसे कंपनी को आदत पड़ गयी है घटिया और ख़राब प्रोडक्ट बनाने की और  बाद में उन्हें वापस लेने की भी क्योंकि फिर दोबारा 2010 में इसे अपने वाशिंगटन के प्लांट को बंद करना पड़ा था, फिर एक बार 2011 में मिर्गी की दवा जिसका नाम टोपामैक्स है उसकी 57000 बोतलें वापस मंगाई क्योंकि उनमे बदबू आ रही थी। इस सब के बाद भी कंपनी के कारनामे नहीं रुके और दोबारा 2012 में कंपनी को करीब 2000 बेबी लोशन की ट्यूब वापस मार्किट से मंगवाए क्योंकि उनमे ज़्यादा बैक्टीरिया पाए गए थे। इस सबका सिलसिला यहीं नहीं रुक बल्कि 2013 में दोबारा साइकोटिक दवा का गलत प्रचार करने के लिए इस कंपनी को 220 करोड़ डॉलर जुरमाना चुकाना पड़ा और ऐसा करने के लिए डॉक्टरों ने भी रिश्वत ली थी।

जॉनसन एंड जॉनसन का एक बेबी प्रोडक्ट शैम्पू जिसका नाम है " नो मोर टीयर्स " जिसके बारे में पता चला है की कुछ स्वास्थ संघटनों ने इस प्रोडक्ट पर भी सवाल उठाए और इस मामले में करीब 1200 केस कंपनी पर हुए और इसकी जांच अभी भी महाराष्ट्र में चल रही है।

जॉनसन एंड जॉनसन भारत में बेबी केयर कारोबार में ही है और इस कारोबार से ये करीब 92,500 करोड़ का धंधा करती है। ऐसा भी मानना है अगले चार सालों करीब दो लाख करोड़ हो जाएगा। इस कंपनी का भारत में बेबी केयर प्रोडक्ट्स में मार्किट शेयर 70 फीसदी  ज़्यादा है।


फिलहाल जॉनसन एंड जॉनसन में सिर्फ बेबी प्रोडक्ट ही बेचती है और कोई दवाई नहीं। इस कंपनी ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है और कहा है की उनके  पाउडर में कोई दिक्कत नहीं है और वह सौ सालों से से  इसे बनकर बेच रहे हैं। यह कंपनी के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है और वह मानते हैं की वह कोर्ट के जूरी का फैसला दुनिया भर में एक्सपर्ट्स की तीस सालों की स्टडी से उलट है। उनके मुताबिक इन स्टडीज के नतीजे टेलकम पाउडर के समर्थन में हैं और वह समझ सकते हैं की ओवेरियन कैंसर से पीड़ित महिलाएं और उनके परिवार जवाब चाहते हैं, और हमे उनके प्रति गहरी सहानुभूति भी है जिन्हे ये गम्भीर बीमारी है और जिसका कारण अभी तक पता नहीं चल सका है।

कंपनी का ये भी कहना है की उन्होंने अपने प्रोडक्ट्स की सेफ्टी से सम्भंदित हर सवाल को बढ़ी ही गम्भीरता से लिया है और विज्ञानिक और वैधानिक समीक्षाओं में ये साबित हुआ है की उनका टेलकम पाउडर एकदम सुरक्षित है।

कंपनी का ये भी कहना है की उनके प्रोडक्ट्स पर लगे हुए लेबल्स भी बिलकुल सही जानकारी देते हैं और वह अपने कस्टमर्स के अपेक्षाओं पर खरा उतरने की हमेशा कोशिश करते रहेंगे। जोंसन कंपनी जूरी के फैसले के खिलाफ अपील करेगी और इसकी पैरवी भी करते रहेंगे की जॉनसन एंड जॉनसन इस्तेमाल के लिए बिलकुल सेफ है

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